The baglamukhi shabar mantra Diaries

योषिदाकर्षणे शक्तां, फुल्ल-चम्पक-सन्निभाम् ।

Shabar mantras absolutely are a kind of recitation located in the Indian mystical tradition of tantra. These mantras are believed to get strong and successful in acquiring precise applications when chanted with devotion and sincerity. Here are several of the different and crucial sorts of Shabar mantras:

इस परिशिष्ट में जिन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, वे लोक- परम्परा से सम्बद्ध भगवती-उपासकों द्वारा पुनः-पुनः सराहे गए हैं। इन मन्त्रों का प्रभाव असंदिग्ध है, जबकि इनके साधन में औपचारिकताएं नाम मात्र की हैं। यदि भगवती बगलाम्बा के प्रति पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा-भाव रखते हुए इन मन्त्रों की साधना की जाए, तो कोई कारण नहीं है कि साधक को उसके अभीष्ट की प्राप्ति न हो।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा॥

श्री – सिंहासन – मौलि-पातित-रिपुं प्रेतासनाध्यासिनीम् ।।

ॐ नमो महाशाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय निवारय, मम सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा

ऋषि श्रीदुर्वासा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

Added benefits: This is a Baglamukhi mantra for enemy. It shields people today from enemies by creating difficulties and hurdles from the enemy’s route.

ऋषि श्रीवशिष्ठ द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

पीतं वासो वसानां वसु – पद – मुकुटोत्तंस- हाराङ्गदाढ्याम् ।।

श्रीब्रह्मा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

श्रीबगला- पटलोक्त ध्यान ( पीताम्बरा ध्यान मंत्र )

भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर जगत के हित के लिए शाबर मन्त्र समूह की रचना की; जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता baglamukhi shabar mantra है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है॥ सहज और सरल भाषा में रचित ये मत्रं अत्यधिक विशेष प्रभाव शाली है। तत्रं विघा को जानने वाले शाबर मंत्रों का विशेष महत्व जानते हैं अत्यधिक प्रभाव शाली माँ पिताम्बरा बगलामुखी के यह मत्रं अपने आप में चमत्कृत है। यदि किसी व्यक्ति विशेष के कारण शत्रु पग-पग पर कष्ट देते है उस पर हावी होते है, तथा हर प्रकार से नीचा दिखाने की चेष्टा करते हों, या षड्यंत्र करके पुलिस कोर्ट कचहरी में फसा देते है तब उसे बगलामुखी दिक्षा उपरांत शाबर मंत्र की साधना करनी चाहिए। यदि किसी के शत्रु अस्त्र आदि लेकर सामने आते हों और उसके सामने प्राण का संकट खड़ा हो जाता हो तथा कोई उसकी जीविका को व्यापार को तत्रं द्वारा नष्ट बंधन प्रयोग कर रहा है तब शत्रुओं को उनके बाल प्रभाव नष्ट करना चाहिए ,जब कोई असाहय हो या सब तरफ से शत्रुओं में घिर जाए और उसे बचने का कोई उपाय न सूझे, तो ऐसी भयंकर विपत्ति में ही बगलामुखी साधना करनी चाहिए क्योंकि।

सुधाब्धौ रत्न-पर्यङ्के, मूले कल्प-तरोस्तथा ।

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